दोस्ती की मिसाल

जब दोस्ती होती है तो दोस्ती होती है

और दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता

गुलज़ार

दोस्ती, दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्ते में से एक रिश्ता। एक ऐसा रिश्ता जिसमे कोई मोल-भाव नहीं पूछता, जिस में कोई जात-धर्म नहीं पूछता, ना ही इसकी कोई उम्र होती है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जो खून का ना होकर भी खून के रिश्तों से कहीं ज्यादा क़ीमती होता है। दुनिया में किसी के माता पिता नहीं होते, किसी की संतान नहीं होती। किसी के भाई बहन नहीं होते, किसी के रिश्तेदार नहीं होते, पर दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे सब निभाते हैं, और हर किसी का एक ना एक दोस्त होता ही है।

और वही एक दोस्त हज़ारों के बराबर होता है, हमें हौसला और ताकत देने को हमेशा आतुर रहता हैं। चाहे कोई साथ दे या ना दे, सच्चे दोस्त कभी साथ नहीं छोड़ते। अच्छे दोस्त कभी भी कही भी मिल सकते है और वो अनजान लोग कब आपकी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण लोगो में शामिल हो जाते है, पता भी नही चलता। मैं खुद अपनी दोस्त से एक ट्रेन के सफर के दौरान मिली थी और आज 9 साल बाद भी हम एक दूसरे के सबसे करीबी दोस्त है।

एक शाम मैं अपनी बालकनी में बैठे बैठे डूबते सूरज की लालिमा में खोई हुई चाय की चुस्किया ले रही थी, तभी कुछ आवाज़े कानो में पड़ी और मेरी तंद्रा भाग हुई। नीचे से कुछ बुजुर्ग आदमियों की आवाज़ आ रही थी।

यूं तो मैंने उन सबको हमेशा ही सड़क के किनारे, कुर्सी पर बैठे हुए कई बार देखा है। उनका यूँही मिलने और बैठकें घंटो बातें करना फिर अपने घरों को चले जाना, राजमार्रा की बात थी पर आज मन में ये खयाल आया के यदि बुढ़ापे में मेरा ऐसा कोई सर्किल नहीं रहा तो? एक करीबी दोस्त होने के अलावा के सर्किल भी तो एहमियत रखता है।

मैं सोचने पर मजबूर हो गई के जिस दौर में सब दोस्त फोन पर ही काम चला कर दोस्ती निभाते हैं, उस दौर में भी कुछ लोग हैं जिनके अपने दोस्त हैं, जिन से वे रोज मिलते हैं।

यही तो मजा होता है दोस्ती का!

दिन भर की थकान अपने दोस्तों के साथ बात कर के निकालना, दुनिया भर की बात करना, और अगले दिन फिर वही सब।पर हम कितनी ही बात क्यों न करें, कितने ही करें करें क्यों न रहे अपने दोस्तों के, न बातें खत्म होती हैं न मुलाकातें खत्म होती हैं। दोस्ती एक ऐसा सिलसिला है जो चलता ही जाता है। इस instagram और WhatsApp के ज़माने में अपने दोस्तो से रोज मिलना एक अलग ही रोमांचक बात थी मेरे लिए।

उन सब को इतने दिनों से देखते हुए एक रोज ख्याल आया कि क्यों ना इनसे बातों की जाए, कुछ दोस्ती, कुछ जिंदगी के बारे में समझ जाए।और बस, मैं पहुंच गई नीचे। वहां जब उन सबसे बात की तो पता लगा के ये सारे लोग काफी सालों से यहां रोज शाम इकट्ठे होते है। मैंने तो बस यही सोचा था कि दोस्त अपना समय काटने एक दूसरे से मिलते हैं, पर मुझे बहुत सारी बातें पता चली, जिन से काफी प्रभावित हुई।

इस ग्रुप के सारे लोग बहुत शिक्षित और काफ़ी प्रतिभाशाली है।मेरा परिचय लघाटे जी से हुआ जो एक वकील रह चुके है और वर्तमान में इनकम टैक्स से संबंधित मदद करते है। इस उम्र में उनका अपने काम के प्रति रुझान देखकर मैं बहुत प्रेरित हुई। इस पूरे ग्रुप में सबसे बुजुर्ग है कसूलकर जी जो कृषि के क्षेत्र में बहुत ज्ञान रखते है।

महाजन जी से सीनियर सिटीजन ग्रुप के सचिव हैं। साथ ही भोसकर जी इस ग्रुप के अध्यक्ष है और लांडे जी उपाध्यक्ष है, और इसमें लगभग 50 लोग शामिल है। यह ग्रुप सामाज सेवा के काम में हमेशा आगे रहता है। यह जानकर मुझे अच्छा लगा कि इस उम्र में भी ये सारे लोग समाज सेवा के कार्यो से जुड़े हुए है और देश हित में अपना योगदान दे रहे है।

इन्होंने इस सचिव की स्थापना ही इस नेक विचार से की थी कि ये ज़्यादा से ज़्यादा लोगो के काम आ सके। महाजन जी ने बताया कि नागपुर के जिस इलाके में हम रहते है, वहां सड़क, बिजली, पानी, ज़मीन से संबंधित कोई काम हो या आधिकारिक काम जैसे बैंक, आधार कार्ड सी संबंधित मुद्दा हो, ये हर संभव सहायता करने की योग्यता रखते है।

मैंने उनसे बहुत सारी बातें पूछी। चाहे वो आज के मोबाइल युग की हो या आज के जवानों की। और एक ही बात मालूम हुई, कि ये सभी लोग बहुत खुले विचारो वाले हैं। और यही नहीं, औरतो को लेकर भी इनके विचार काफी सराहनीय थे। महाजन जी की एक बात मुझे बहुत अच्छी लगी, वो ये थी कि, किसी को भी औरतो को ये बताने की जरूरत नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। वो बहुत अच्छे से जानती हैं की उनकी क्या जिम्मेदारियां है, और वो घर और बाहर के कामों में हमसे ज्यादा व्यस्त रहती है और अपना समय कहाँ बिताना है, इसकी अच्छी समझ रखती है ।

उनके विचार आज के जवानों के बारे में भी ऐसे ही थे। जवानों की उपेक्षा और उनका आंकलन करने के बजाए यह जरूरी है कि हम उनकी हर संभव सहायता करे और इनपर भरोसा रखे क्योंकि आज का जवान अच्छे से जानता है कि उसे क्या करना हैं।

फिर बात आई इनकी hobbies की तो मालूम हुआ कि महाजन जी ने 30 साल स्टेनोग्राफ़ी सिखाई है, दूसरी तरफ़ भोसकर जी ना सिर्फ़ बहुत अच्छे गॉर्डनर है बल्कि कई प्रकार के बहुत खूबसूरत पेपर क्राफ़्ट्स और मॉडल्स बनाते है, अलग अलग पद्धति को दर्शाने के लिए। भांडे जी को ना सिर्फ़ साफ़ सफ़ाई रखने का शौक़ है बल्कि ये साइकिलिंग में भी अव्वल है।

इन सब की बातें सुनकर और विचार जानकार मुझे ना सिर्फ़ प्रेरणा मिली है बल्कि अपने आने वाले कल के लिए और भी उत्सुकता हुई । मेरे पास समय की पाबंदी थी पर जितनी भी बातें मैंने इन सबसे की उसकी मुझे बहुत खुशी है।

इस सीनियर सिटीजन ग्रुप से बात करके मुझे ये समझ आया कि दोस्ती बस घूमना फिरना और मज़े करने का नाम नहीं है बल्कि हर रोज़ एक दूसरे को प्रेरित करने का और आख़िर में एक अच्छे इंसान बनने का भी नाम हैं। मुझे ये सारे लोग बहुत काबिल लगे और इनके विचारो ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि generation gap तभीं होता हैं जब आप किसी चीज़ को स्वीकार नहीं कर पाते । पर इस ग्रुप के लोगो से बात करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंची कि केवल आज का जवान ही नही, आज का बुजुर्ग भी बेहद जागरूक और खुली विचारधारा का हैं। हम जितनी अपेक्षा बुजुर्गो से करते है उतने ही प्रयास हमने भी करने चाहिए उनसे साथ घुलने मिलने और उन्हे समझने के लिए।


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